- भाषाई एवं साहित्यिक कौशल संवादात्मक एवं लेखन दक्षता विकसित कर छात्रों के सोचने समझने की क्षमता में बढ़ोत्तरी कर दुनिया को विभिन्न दृष्टिकोण से देखने का नजरिया प्रदान करता है।
- साहित्यिक अध्ययन विभिन्न विचारों को समझने की क्षमता, संवेदनशीलता एवं सांस्कृतिक समझ में बढ़ोत्तरी करता है।
- साहित्य के माध्यम से छात्रों को समस्याओं का अन्वेषण करने और समाधान करने की क्षमता मिलती है, जो उन्हें समृद्ध और सुलझी हुई सोच की क्षमता प्रदान करती है।
- हिंदी भाषा का ज्ञान छात्रों को शिक्षण, अनुवाद, पत्रकारिता, रचनात्मक लेखन आदि क्षेत्रों में रोजगार के अवसर देता है।
- छात्रों में भाषा के प्रति रुचि पैदा करना, जिससे वे अपनी भाषाई क्षमताओं में सुधार कर भाषाई प्रवीणता हासिल कर सकें। बोलने, पढ़ने और लेखन संबंधी भाषाई कौशल विकसित करना।
- छात्रों में साहित्यिक समझ विकसित करना ताकि वे संवेदनशील नागरिक के रूप में बेहतर समाज निर्माण में अपना योगदान दे सकें।
- छात्रों को साहित्य और भाषा से जुड़े अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करना, ताकि नए और उत्कृष्ट आलेख, पत्र, और रचनाओं के सृजन को बढ़ावा मिल सके।
- वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा, साहित्य और संस्कृति के प्रचार प्रसार देने हेतु छात्रों को आवश्यक कौशल, ज्ञान और मूल्यों से युक्त करना।
- छात्रों को उत्कृष्टता की दिशा में प्रेरित करना और उन्हें नए विचार और नए सृजनात्मक प्रक्रियाओं के प्रति उत्साहित करना। हिंदी भाषा और साहित्य के माध्यम से छात्रों को भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और विरासत की समझ देना।
- छात्रों को हिंदी भाषा, साहित्य और संस्कृति की गहरी समझ, और प्रवाह विकसित करने के लिए प्रेरित कर सशक्त बनाना, जिससे वैश्विक नागरिकों के रूप में उनके समग्र विकास को बढ़ावा मिल सके।
- छात्रों को व्यापक संदर्भों में हिंदी का सही और प्रभावी उपयोग करने के लिए तैयार करना, ताकि वे अपने व्यक्तिगत और पेशेवर क्षेत्र के उच्चतम स्तर पर पहुंच सकें।
विभाग के प्राध्यापक
डॉ० दिव्या पाठक
डॉ० रीता आर्या
डॉ० राजेन्द्र सिंह बिष्ट
पाठ्यक्रम: स्नातक एवं स्नातकोत्तर